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गुरु वो जो तुम्हें स्वर्ग में भी ठहरने न दे || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2017)

2019-11-29 2 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />५ मई २०१७<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />दोहे:<br />१) जेहि खोजत ब्रह्मा थके, सुर नर मुनि अरु देव।<br />कहै कबीर सुन साधवा, करु सतगुरु की सेव॥<br />~ संत कबीर<br /><br />२) बन्धे को बन्धा मिलै, छूटै कौन उपाय।<br />कर संगति निरबंध की, पल में लेत छुड़ाय।।<br />~ संत कबीर<br /><br />३) साबुन बिचारा क्या करे, गाँठे राखे मोय ।<br />जल सो अरसां नहिं, क्यों कर ऊजल होय ॥<br />~ संत कबीर<br /><br />प्रसंग:<br />गुरु कौन?<br />सतगुरु का क्या परिभाषा है?<br />गुरु का क्या रूप है?<br />"जेहि खोजत ब्रह्मा थके, सुर नर मुनि अरु देव। कहै कबीर सुन साधवा, करु सतगुरु की सेव"॥ इस दोहे क्या क्या आशय है?<br />ब्रह्मा कौन है?<br />मुक्ति क्या है?<br />गुरु के प्रति समर्पण कैसे करें?<br />समर्पण का महत्व क्या है?<br />गुरु के सान्निध्य में होने का क्या आशय है?<br />किसी को गुरु मानने से पहले क्या ध्यान में रखना चाहिए?<br />संतों ने गुरु को सबसे ऊँचा दर्जा क्यों दिया है?<br />संत कबीर ऐसा क्यों कहते हैं कि 'गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने गोबिंद दियो मिलाय।।

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